फारूक अब्बास। आईआईटी के बढते आयामों के साथ साथ साइबर क्राइम का जाल भी ज्यादा फैलनें लगा है। पहले कम्प्यूटर और लैपटाॅप निशाना बनते थे अब ...
फारूक अब्बास। आईआईटी के बढते आयामों के साथ साथ साइबर क्राइम का जाल भी ज्यादा फैलनें लगा है। पहले कम्प्यूटर और लैपटाॅप निशाना बनते थे अब स्मार्टफोन भी साइबर क्राइम के पंजे में फंसनें लगे हैं। किन्तु यदि सावधानी पूर्वक और स्मार्टयूजर बनकर आईटी सुविधाओं का उपयोग करें तो साइबर क्राइम से बचा जा सकता है। आइये जानते हैं कि कैसे साइबर क्राइम से बचें।
1. यदि आपका ईमेल या सोशल नेटवर्किंग साइट हैक हो जाती है तो सम्बन्धित बेबसाइट पर जाकर रिकवरी प्रक्रिया अपनाकर उसे रिकवर करें और डाटा को सेव कर ज्यादा नुकसान से बचें। लाॅग इन स्क्रीन पर देखें कि क्या पासवर्ड भूलनें या एकाउण्ट रिकवर करनें का कोई विकल्प या लिंक दिखाई देता है।
2. आपको बता दें कि यह भी आप पता लगा सकते हैं कि आपका ईमेल एकाउण्ट किसी आईपी एड्रेस से हैक किया गया है क्योंकि चाहे आप जीमेल यूजर हो या फिर याहू, आउटलुक के उसके नीचे उसका विवरण मौजूद रहता है। जीमेल मे सबसे नीचे दायीं ओर last account activity में डिटेल लिंक क्लिक करते ही आपको यह जानकारी मिल जाएगी और उसे स्क्रीन शाॅट लेकर उसे सेव कर सकते हैं।
3. यदि आपके फेसबुक एकाउंट पर किसी अश्लील कमेंट, आपत्ति भाषा, धमकी दी गई हो या फिर अश्लील मैसेज भेजा गया हो तो उसे सेव न करें ताकि भेजने वाला उसे हटा न सकें। संभव हो तो फेसबुक का स्क्रीनशाॅट लेकर सेव करें जिससे उसे ठोस सबूत के तोर पर पेश किया जा सके।
4. साइबर क्राइम का समय, तारीख आदि नोट करें और संबंधित साइबर क्राइम सेल में रिपोर्ट भी अवश्य दर्ज कराएं। सबूत इकट्ठा करें जो आगे कानूनी कार्रवाई करनें में मदद करेंगे।
5. यदि आप बैंकिंग साइबर क्राइम का शिकार बनते है जैसे कि यदि आपके क्रेडिट कार्ड, क्लोनिंग या नेटबैंकिंग के जरिए आपके खाते से पैसे निकाल लिए जाते हैं तो इमरजेंसी काॅल नंबर पर तुरंत काॅल करके कार्ड को तत्काल ब्लाॅक करवा दें जिससे कि उससे और पैसे न निकाल सकें। निकाले गए पैसे का फोन पर प्राप्त मैसेज या ईमेल सेव कर लें। नेटबैंकिंग खाते का स्क्रीन शाॅट लेना भी जरूरी है तभी आपके पास कोई प्रमाण रहेगा।
6. जागरूकतापूर्वक ऐसे साइबर क्राइम के प्रमाण सुरक्षित कर लें तो संबंधित सर्विस प्रदाता, से संपर्क करके औपचारिक शिकायत दर्ज कराएं चाहे वह ईमेल, वेबसाइट हो, के्रडिट कार्ड कंपनी या फिर बैंकिंग अथवा सोशल नेटवर्किंग साइट प्रोवाइडर।
7. यदि क्रेडिट या डेबिट कार्ड खो गया था और उसे बंद करवाने के बाद भी आपकी नेटबैंकिंग या कार्ड का दुरूपयोग हुआ है तो भी बैंक की त्रुटि मानी जाएगी।
8. यदि आप के्रडिट कार्ड क्लोनिंग या नेटबैंकिंग का शिकार हुए है तो यह बैक की गलती से हुआ होगा कि हैकर्स ले बैंक का डाटा चुरा कर उसका दुरूपयोग किया होगा। तो इसके लिए बैंक उत्तरदायी होगा।
9. यदि आपकी वेबसाइट हैक कर उसका दुरूपयोग हुआ तो आप संबंधित वेब होस्टिंग कपंनी से बात कर सकते हैं जहां से साइबर क्रिमिनल, उसके ईमेल, आईपी एडेªस को ज्ञात कर उचित कार्यवाई की जा सकती है ध्यान रखें कि साइबर क्राइम के प्रमाण सेव करने से लेकर संबंधित वेबसाइट, बैंकिंग सर्विसेस आदि से संबंधित सभी बातचीत का ब्यौरा रखें। जिससे आगे की कार्यवाई उच्चस्तर पर की जा सकें।
